महिला चैम्पियन
(सशक्त महिलाएं जो कि मेरी यात्रा में सहयोगी रहीं)
श्रीमती झम्मा बाई, पाटादा
श्रीमती लता बेले, नत्थूढाना
श्रीमती कल्लो बाई, नत्थूढाना
श्रीमती सरस्वती बाई, टेमनी
श्रीमती तुलसिया बाई, धावडी
क्र. | नाम | ग्राम | क्यों महिला चैम्पियन है |
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1 | श्रीमती सरस्वती बाई | टेमनी | सरस्वती ने लगन से पढ़ना-लिखना सीखा व् पोषणाहार बनाने का काम बहुत कुशलता से किया l |
2 | श्रीमती कम्मो बाई | पाटादा | कम्मों बाई में समूह को साथ लेकर चलने, उन्हें मोटीवेट करने व् सभी कार्यक्रमों में आगे बढ़कर भाग लेती है l |
3 | श्रीमती तुलसिया बाई | धावड़ी | धावड़ी में हरिजन महिला है व् एकल महिला है|परन्तु महिलाओं को आगे लाने उनके हक की लड़ाई लड़ने व् गाँव के विकास के काम में हमेशा आगे रही हैं l |
4 | श्रीमती कलसिया बाई | केरपानी (जामुन ढाना) | ये १९८२ में हमारी संस्था की पहली बालवाड़ी कार्यकर्त्ता थी|इनके साथ एक और कार्यकर्त्ता थी|दोनों को हजारीबाग (झारखण्ड) में एक माह का प्रशिक्षण दिलवाया था|इन्हें छोड़ने मैं गई थी|इनके कारण (क्योंकि इन्होंने ट्रेन की यात्रा पहली बार की थी) जो अनुभव हुए उन अनुभवों पर एक कहानी लिखी जा सकती हैं|वर्तमान में फ्यूचर लीडर है l |
5 | श्रीमती संतो बाई सरियाम | ऐडापुर | १९८६ से संस्था से जुड़ी हैं|ये महिला लीडर है|खासकर संस्था के साथ जुड़कर PRI मेम्बर व् फ्यूचर लीडर को मोटीवेट करने का काम करती हैं l |
6 | श्रीमती पुष्पा राठोर | कोथलकुण्ड | SHG मेम्बर साथिन फेडरेशन बनवाने व् उसे आगे ले जाने में बड़ा योगदान रहा|SHG व् FIG को मोटीवेट करने का काम करती हैं|महिला उधमी में भी इन्हें गिना जाता है| |
7 | श्रीमती कमला देशमुख | कोथलकुण्ड | SHG लीडर है|अकेले दम पर सात लड़कियों को पढ़ा-लिखा कर योग्य बनाया|संस्था के काम में हमेशा आगे रही| |
8 | श्रीमती रज्जो बाई | चिचठाना | आदिवासी कम पढ़ी-लिखी होते हुए भी समूह में बहुत वजनदार महिला है|बहुत समझदारी से सबको साथ लेकर चलती हैं| |
9 | श्रीमती उर्मिला उइके | बोथी | पंचायत में पहले सरपंच थी|२००४ में संस्था व् SHG ने मिलकर इन्हें सरपंच बनाया था|वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं l |
10 | श्रीमती उर्मिला दहीकर | कोथलकुण्ड | पंचायत लीडर है|संस्था की मदद से २००४ में सरपंच बनी थी|SHG में भी बहुत सक्रिय थी|वर्तमान में भी सरपंच है|मेरे साथ बहुत से कार्यक्रमों में दिल्ली व् कई जगहों पर जाकर आई हैं l |
11 | श्रीमती लता बेले | नत्थूढाना | SHG व् साथिन फेडरेशन से जुड़ी है|२०,२२ साल की उम्र से जुड़ी है|अभी ३५,३६ वर्ष की हो गई है|आज भी गाँव के कार्यों के लिए बहुत सक्रिय रहती है l |
12 | श्रीमती कल्लो बाई | नत्थूढाना | SHG में तो बहुत सक्रिय रही|जेविक खेती, सोलर कुकिंग में भी काम किया था|वह बहुत अच्छी दाई व् पारम्पारिक दवाइयों का ज्ञान भी रखती है l |
13 | श्रीमती संगीता बारस्कर | खडगढ़ | बहुत कम पढ़ी-लिखी थी व् बहुत छोटी उम्र में विधवा हो गई थी|ताना-बाना के काम में हमने ज्यादा एकल महिलाओं को जोड़ा था|आदिवासियों में मान्यता है कि कपड़ा बुनाई नहीं करना तब भी संगीता ने ये काम सीखा व् कई वर्ष चलाया|ताना-बाना सहकारी समिति बनाई तो इन्हें अध्यक्ष बनाया गया l |
14 | श्रीमती सुमन कास्देकर | सुपाला | ये भी कोरकू आदिवासी महिला है|इन्होंने भी ताना-बाना में कपड़ा बुनाई का काम सीखकर कई वर्ष तक वहाँ काम किया l |
15 | श्रीमती मिराय बाई | पलासखेड़ी | कोरकू आदिवासी महिला नेता थी|मैंने जब अपनी Ph.d का काम किया तो इन्होंने मुझे बहुत मदद की|बहुत अच्छी वक्ता भी है l |
16 | श्रीमती ललिता इवने सरपंच | टेमनी | पंचायत लीडर है|व वर्तमान में टेमनी की सरपंच है|अब पंचायत के कार्यो में काफी सक्रीय हो गई है l |
17 | श्रीमती गंगा बाई | टेमनी | आदिवासी सक्षम महिला है|निडरता से बोलती व् काम करती है|टेमनी में बालवाड़ी व् पोषण आहार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में मदद की| |
18 | श्रीमती विमला बाई | बोथी | SHG लीडर है|पंचायत के साथ पेयजल की व्यवस्था की लड़ाई में हमेशा आगे होकर बढ़ चढ़कर भाग लिया है| |
19 | श्रीमती ललिता काले | सिरडी | ललिता ७वीं तक पढ़ी थी व् मुझे घर के काम में मदद करने के लिए हमारे कार्य क्षेत्र के बाहर के गाँव से आई थी|संस्था परिसर जहाँ मैं रहती थी वहाँ सिलाई, कड़ाई, फ़ूड प्रोसेसिंग, शहद व् कपड़ा बुनाई का प्रशिक्षण व् उत्पादन का कार्य होता था|ललिता ने पढाई के साथ-साथ ये सब सीखा व् फिर सारे प्रोडक्ट की मार्केटिंग का काम वहीं देखती थी| |
20 | श्रीमती उर्मिला डोंगरे | ऐडापुर | ये जन्म से दिव्यांग है|गाँव में जब तक स्कूल था तब तक पढाई की फिर छोड़ दी|घर पर न ज्यादा चलती फिरती थी न ही ज्यादा काम करती थी|मैं इन्हें अपने साथ हमारे परिसर में ले आई, फिर इंदोर भेजकर उसे छ: माह का प्रशिक्षण बरली इंस्टीट्यूट में दिलवाया|आज वह इंडिपेंडेंट है वह संस्था में फ़ूड प्रोसेसिंग, शहद की व्यवस्था को देखती है| |
21 | श्रीमती झम्मो बाई धुर्वे | पाटादा | सिरडी सहयोग समिति की सदस्य थी|गाँव की नियोजन कार्यक्रम क्रियान्वयन में बहुत योगदान रहता था|अभी SHG की अध्यक्ष है व् इनका समूह वर्तमान में स्कूल में मध्यान्ह भोजन एवं आँगनवाडी में पोषण आहार बनाने का कार्य करता है| |